June 11, 2011

मन रे तू काहे न धीर धरे (चित्रलेखा-1964) Man Re Tu Kahe Na Dheer Dhare (Chitralekha-1964)

मन रे तू काहे ना धीर धरे
ओ निर्मोही मोह ना जाने,  जिनका मोह करे
मन रे तू काहे ना धीर धरे |

इस जीवन की चढ़ती ढलती
धूप को किसने बांधा
रंग पे किसने पहरे डाले
रुप को किसने बांधा
काहे ये जतन करे |

उतना ही उपकार समझ कोई
जितना साथ निभा दे
जनम मरन का मेल है सपना
ये सपना बिसरा दे
कोई न संग मरे |

[Composer: Roshan;  Singer : Md. Rafi;  Producer : Pusha Picture ; Director: Kidar Nath Sharma;  Actor : Pradeep Kumar]




तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा (धूल का फूल-1959) Tu Hindu Banega Na Musalman Banega (Dhool ka Phool-1959)

तू हिन्दु बनेगा ना मुसलमान बनेगा
इन्सान की औलाद है इन्सान बनेगा  

अच्छा है अभी तक तेरा कुछ नाम नहीं है
तुझको किसी मजहब से कोई काम नहीं है
जिस इल्म ने इंसान को तकसीम किया है
उस इल्म का तुझ पर कोई इलज़ाम नहीं है
तू बदले हुए वक्त की पहचान बनेगा ।

मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया
हमने उसे हिन्दू या मुसलमान बनाया
कुदरत ने तो बख्शी थी हमें एक ही धरती

हमने कहीं भारत कहीं इरान बनाया
जो तोड़ दे हर बंध वो तूफ़ान बनेगा ।

नफरत जो सिखाये वो धरम तेरा नहीं है
इन्सां को जो रौंदे वो कदम तेरा नहीं है
कुरआन न हो जिसमे वो मंदिर नहीं तेरा
गीता न हो जिसमे वो हरम तेरा नहीं है  
तू अम्न का और सुलह का अरमान बनेगा ।

ये दीन के ताजिर ये वतन बेचने वाले
इंसानों की लाशों के कफ़न बेचने वाले
ये महलों में बैठे हुए ये कातिल ये लुटेरे
काँटों के एवज़ रूह-ए-चमन बेचने वाले
तू इनके लिये मौत का ऐलान बनेगा 

[Composer:  N.Dutta;  Singer : Rafi;  Producer ; B.R.Chopra,   Director : Yash Chopra;  Actor : Manmohan Krishan]

Note : With this movie, Yash Chopra started his career as a Director.



ज़िन्दगी इत्तफ़ाक़ है (आदमी और इंसान-1969) Zindagi itafaq hai (Aadmi aur Insaan -1969)

ज़िन्दगी इत्तफ़ाक़ है
कल भी इत्तफ़ाक़ थी
आज भी इत्तफ़ाक़ है
ज़िन्दगी इत्तफ़ाक़ है ...

जाम पकड़ बढ़ा के हाथ
माँग दुआ घटे न रात
जान-ए-वफ़ा तेरी क़सम
कहते हैं दिल की बात हम
ग़र कोई मेल हो सके
आँखों का खेल हो सके
अपने को ख़ुशनसीब जान
वक़्त को मेहरबान मान
मिलते हैं दिल कभी-कभी
वरना हैं अजनबी सभी
मेरे हमदम मेरे मेहरबाँ
हर ख़ुशी इत्तफ़ाक़ है
कल भी इत्तफ़ाक़ थी ...

हुस्न है और शबाब है
ज़िन्दगी क़ामयाब है
बज़्म यूँ ही खिली रहे
अपनी नज़र मिली रहे
रंग यूँ ही जमा रहे
वक़्त यूँ ही थमा रहे
साज़ की लय पे झूम ले
ज़ुल्फ़ के ख़म को चूम ले
मेरे किए से कुछ नहीं
तेरे किए से कुछ नहीं
मेरे हमदम मेरे मेहरबाँ
ये सभी इत्तफ़ाक़ है
कल भी इत्तफ़ाक़ थी ...

(Composer : Ravi;  Singer : Asha Bhonsle;  Producer: B.R.Chopra,  Director : Yash Chopra; Actor: Mumtaaz, Dharmendra, Firoz Khan]



वतन का क्या होगा अंजाम (आदमी और इंसान -1969) Vatan Ka Kya Hoga Anjaam (Aadmi Aur Insaan-1969)

बिना सिफारिश मिले नौकरी
बिन रिश्वत हो काम
अरे इसी को अनहोनी कहते हैं
इसी का कलजुग नाम 
वतन का क्या होगा अंजाम 
बचा ले ऐ मोला ऐ राम ..

रिश्वत पर पलते थे अफसर, छोटे हो या मोटे
बंद हुयी ये रस्म तो  धंधे हो जायेंगे खोटे
घर-घर में मातम होगा  दफ्तर-दफ्तर कोहराम
बचा ले ऐ मोला ऐ राम ..

यही चला गर ढंग यारों होंगे बुरे नतीजे
भूखे मरेंगे नेताओं के बेटे और भतीजे
जितनी इज्ज़त बनी थी अब तक
सब होगी नीलाम
बचा ले ऐ मोला ऐ राम ..

रिश्वत से मुंह  बंद थे सबके अब फूटेंगे भांडे
अरे पता चलेगा किसके  किससे मिले हुए थे डांडे
कौन सा ठेका लेकर किसने कितना माल बनाया
कितनी उजरत दी लोगों  को कितना बिल दिखलाया
कौन सी फाईल किस दफ्तर से कैसे हो गयी चोरी
किसने कितनी गद्दारी की  कितनी  भरी तिजोरी
किस मिल मालिक के पैसे से कितने वोट कमाए
कुर्सी मिली तो देशभगत ने कितने नोट कमाए
रिश्वत से ही छुपे हुए थे सब काले करतूत
नंगे होकर सामने आयेंगे अब सभी  सबूत
दुनिया भर के मुल्कों में होगा भारत बदनाम
बचा ले ऐ मोला ऐ राम
वतन का क्या होगा अंजाम ..


[Composer : Ravi; Singer ; Rafi; Producer: B.R.Chopra,  Director : Yash Chopra; Actor: Johny Walker, Saira Bano]
 


June 08, 2011

जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है (बहू बेटी -1965) Jiyo to aise jiyo jaise sab tumhaaraa hai (Bahu Beti-1965)

जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है 
मरो तो ऐसे कि जैसे तुम्हारा कुछ नहीं |

ये  एक  राज़  के दुनिया न जिसको जान  सकी
यही वो राज़ है जो ज़िंदगी का  हासिल  है,
तुम्हीं  कहो  तुम्हे ये बात कैसे  समझाऊँ
कि ज़िंदगी  की  घुटन ज़िंदगी की कातिल  है,
हर  इक  निगाह  को  कुदरत का  ये इशारा है
जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है । 

जहां में आ के जहां से खिचें-खिचें न रहो
वो  ज़िंदगी  ही  नही  जिसमें  आस  बुझ  जाए,
कोई भी प्यास दबाये से दब नहीं सकती
इसी  से  चैन  मिलेगा  कि प्यास  बुझ  जाए,
ये  कह के मुड़ता  हुआ  ज़िंदगी  का  धारा  है
जियो तो  ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है ।

ये  आसमां, ये जमीं, ये फिजा, ये नज़्ज़ारे
तरस  रहे  हैं  तुम्हारी मेरी नज़र  के लिए
नज़र चुरा  के हर एक शै को  यूं  न ठुकराओ
कोई  शरीक-ए-सफ़र  ढूँढ़ लो सफ़र के लिए
बहुत  करीब  से  मैंने  तुम्हें  पुकारा  है
जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है  ।    


[Composer : Ravi, Singer : Md. Rafi, Director ; T.Prakash Rao,  Actor : Joy Mukherjee, Mala Sinha]


बस्ती -बस्ती पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा (रेलवे प्लेटफार्म -1955) Basti-basti parbat-parbat gaata jaaye banjaara (Railway Platform-1955)

बस्ती-बस्ती पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा
लेके  दिल का  इकतारा
बस्ती-बस्ती पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

पल दो पल का साथ हमारा पल दो पल के यारी
आज रुके तो कल करनी है चलने की तैयारी
बस्ती-बस्ती  पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

क़दम-क़दम  पर  होनी  बैठी  अपना  जाल बिछाए
इस  जीवन  की  राह  में  जाने   कौन  कहाँ  रह  जाए  
बस्ती-बस्ती  पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

धन -दौलत  के  पीछे  क्यों  है  ये  दुनिया  दीवानी
यहाँ  की  दौलत  यहाँ  रहेगी  साथ  नहीं  ये  जानी 
बस्ती-बस्ती  पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

             * * * * * * *

सोने चांदी में तुलता हो जहां दिलों का प्यार
आँसूं भी बेकार  वहां पर आहें भी बेकार

दुनिया के बाज़ार में आखिर चाहत भी व्योपार  बनी
तेरे दिल से उनके दिल तक चांदी की दीवार बनी

हम जैसों के भाग में लिखा  चाहत का वरदान नहीं
जिसने हमको जनम दिया वो पत्थर है  भगवान नहीं  .



[ Music : Madan Mohan;  Proudction House : Sehgal Production;  Director : Ramesh Saigal ]