June 08, 2011

बस्ती -बस्ती पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा (रेलवे प्लेटफार्म -1955) Basti-basti parbat-parbat gaata jaaye banjaara (Railway Platform-1955)

बस्ती-बस्ती पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा
लेके  दिल का  इकतारा
बस्ती-बस्ती पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

पल दो पल का साथ हमारा पल दो पल के यारी
आज रुके तो कल करनी है चलने की तैयारी
बस्ती-बस्ती  पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

क़दम-क़दम  पर  होनी  बैठी  अपना  जाल बिछाए
इस  जीवन  की  राह  में  जाने   कौन  कहाँ  रह  जाए  
बस्ती-बस्ती  पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

धन -दौलत  के  पीछे  क्यों  है  ये  दुनिया  दीवानी
यहाँ  की  दौलत  यहाँ  रहेगी  साथ  नहीं  ये  जानी 
बस्ती-बस्ती  पर्वत-पर्वत गाता जाए बंजारा

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सोने चांदी में तुलता हो जहां दिलों का प्यार
आँसूं भी बेकार  वहां पर आहें भी बेकार

दुनिया के बाज़ार में आखिर चाहत भी व्योपार  बनी
तेरे दिल से उनके दिल तक चांदी की दीवार बनी

हम जैसों के भाग में लिखा  चाहत का वरदान नहीं
जिसने हमको जनम दिया वो पत्थर है  भगवान नहीं  .



[ Music : Madan Mohan;  Proudction House : Sehgal Production;  Director : Ramesh Saigal ]








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